
आस्था के नाम पर माँ गंगा के साथ यह कैसा सौतेला व्यवहार ? क्या हमारी आस्था
हमें यही सिखाती है की हम एक तरफ तो माँ कहें और दूसरी तरफ माँ के सीने पर गंदगी का अम्बार लगा दें। यह गंगा माँ हमारी विरासत है, क्या हमें अपनी विरासत को संभालकर नहीं रखना चाहिए ?